logo
add image
TRENDING NOW
Blog single photo

तेजस्वी यादव की नई पहल

admin 25 Aug 2022 92977

बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने दल के मंत्रियों के लिए एक नई आचार-संहिता जारी की है, जो मेरे हिसाब से अधूरी है लेकिन बेहद सराहनीय है। सराहनीय इसलिए कि हमारे नेता ही देश में भ्रष्टाचार के सबसे बड़े स्त्रोत हैं। यदि उनमें आचरण की थोड़ी-बहुत शुद्धता शुरु होने लगे तो धीरे-धीरे भारतीय राजनीति का शुद्धिकरण काफी हद तक हो सकता है। फिलहाल तेजस्वी ने अपने मंत्रियों से कहा है कि वे बुजुर्गों से अपने पांव छुआना बंद करें। उन्हें खुद नमस्कार करें।
हमारे देश में अपने से बड़ों के पांव छूने की जो परंपरा है, दुनिया के किसी भी देश में नहीं है। जापान में कमर तक झुकने, अफगानिस्तान में गाल पर चुम्मा जमाने और अरब देशों में एक-दूसरे के गालों को छुआने की परंपरा मैंने देखी है लेकिन अपने भारत की इस महान परंपरा को सत्ता, पैसा, हैसियत और स्वार्थ के कारण लोगों ने शीर्षासन करवा रखा है। देश के कई वर्गो के लोगों को मैंने देखा है कि वे अपने से उम्र में काफी बड़े लोगों से अपना पांव छुआने में जरा भी संकोच नहीं करते बल्कि वे इस ताक में रहते हैं कि बुजुर्ग उनके पांव छुएं तो उनके बड़प्पन का सिक्का जमे।
बिहार और उत्तरप्रदेश में तो मंत्रियों, सांसदों और साधुओं के यहां ऐसे दृश्य अक्सर देखने को मिल जाते हैं। तेजस्वी यादव इस कुप्रथा को रूकवा सकें तो उन्हें यह बड़ा नेता बनवा देगी। तेजस्वी ने दूसरी सलाह अपने मंत्रियों को यह दी है कि वे आगंतुकों से उपहार लेना बंद करें। उनकी जगह कलम और किताबें लें। कितनी अच्छी बात है, यह? लेकिन नेता उन किताबों का क्या करेंगे? किताबों से अपने छात्र-काल में दुश्मनी रखने वाले ज्यादातर लोग ही नेता बनते हैं।
तेजस्वी की पहल पर अब वे कुछ पढऩे-लिखने लगें तो चमत्कार हो जाए। वरना होगा यह कि वे किताबें भी अखबारों की रद्दी के साथ बेच दी जाएंगी। डर यह भी है कि अब मिठाई के डिब्बों की बजाय किताबों के डब्बे मंत्रियों के पास आने लगेंगे और उन डिब्बों में नोट भरे रहेंगे। तेजस्वी ने तीसरी पहल यह की है कि मंत्रियों से कहा है कि वे अपने लिए नई कारें न खरीदवाएं। यह बहुत अच्छी बात है। लेकिन यह काफी नहीं है। तेजस्वी चाहें तो नेताओं के आचरण को आदरणीय और आदर्श भी बनवाने की प्रेरणा दे सकते हैं।
पहला काम तो वे यह करें कि सांसदों और विधायकों की पेंशन खत्म करवाएं। दूसरा, उन्हें सरकारी मकानों में न रहने दें। अब से 50-55 साल पहले वाशिंगटन में मैं 45 डालर महिने के जिस कमरे में रहता था, उसी के पास तीन कमरों में अमेरिका के कांग्रेसमेन और सीनेटर भी किराये पर रहते थे। तेजस्वी खुद बंगला छोड़ें तो बाकी मंत्री भी शर्म के मारे भाग खड़े होंगे।
हमारी राजनीति को यदि भ्रष्टाचार से मुक्त करना है तो हमारे नेताओं को अचार्य कौटिल्य और यूनानी विद्वान प्लेटो के ‘दार्शनिक राजाओं’ के आचरण से सबक लेना चाहिए। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री की शपथ ली, तब कहा था कि वे देश के ‘प्रधान सेवक’ हैं। तेजस्वी इस कथन को ठोस रूप देकर क्यों न दिखाएं? यदि वे ऐसा कर सकें तो पिछड़ा हुआ बिहार भारत-गुरु बन जाएगा।

Top