किसान आंदोलन-2.0 में किसान संगठन एकजुट नहीं हो पा रहे हैं, बल्कि धड़ों में बंटे हुए हैं। खास बात ये है कि सभी किसान संगठनों की मांग एक ही है कि एमएसपी पर गारंटी कानून लागू किया जाए, लेकिन संगठनों के विरोध के तरीकों का रूप अलग-अलग है।
अलग-अलग संगठन अपने-अपने तरीके से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, लेकिन पंजाब के किसानों के दिल्ली कूच के समर्थन से बच रहे हैं। भाकियू टिकैत गुट का कहना है कि उनका दिल्ली कूच को समर्थन नहीं है। लेकिन बुधवार को प्रदेशभर में भाजपा कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन कर सरकार के पुतले फूंके जाएंगे।
वहीं चढ़ूनी गुट ने कूच पर फैसला लेने के लिए कमेटी गठित की है। उसकी रिपोर्ट पर ही फैसला लेंगे। इसके अलावा, हरियाणा की खाप पंचायतें भी किसानों की मांगों का तो समर्थन करती हैं, लेकिन अभी तक दिल्ली कूच को लेकर खुलकर मैदान में नहीं उतरी हैं। 13 फरवरी से पंजाब से शुरू हुए किसान आंदोलन-2 से दो दिनों तक हरियाणा के किसान संगठनों ने दूरी बनाए रखी। किसानों पर आंसू गैस के गोले चलाने के विरोध में 15 फरवरी से भाकियू चढ़ूनी गुट और टिकैत गुट ने इसका विरोध जताया। इसके बाद चढूनी गुट की ओर से एक दिन तीन घंटे तक टोल फ्री कराए गए और अगले दिन ट्रैक्टर मार्च निकाले गए। इसी प्रकार, टिकैत गुट की ओर से 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद करके विरोध जताया गया।
पंजाब के किसानों के शंभू बाॅर्डर पार करने के बाद लेंगे फैसला
इधर, खुफिया विभाग की रिपोर्ट है कि हरियाणा के किसान संगठनों ने पंजाब से शुरू हुए किसान आंदोलन पर पूरी नजरें गड़ाई हुई हैं। दिल्ली कूच को लेकर शंभू बाॅर्डर का नाका टूटने और नहीं टूटने के बाद ही हरियाणा के किसान संगठन कोई फैसला लेंगे। दरअसल, इस बार हरियाणा पुलिस की ओर से बाॅर्डर पर पुख्ता प्रबंध किए गए हैं और 13 फरवरी से किसान नाके को तोड़ने के लिए कई बार कोशिश कर चुके हैं, लेकिन नाके से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
हम दिल्ली कूच का समर्थन नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इसके लिए पंजाब के संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा के साथ न तो बैठक की और न ही कोई रणनीति तैयार की। लेकिन किसानों की मांगों के साथ हैं। -रतन मान, प्रदेशाध्यक्ष, भाकियू (टिकैत गुट)।
दिल्ली कूच को लेकर कमेटी बनाई गई है। उसकी रिपोर्ट के बाद ही आगामी फैसला लिया जाएगा। किसानों की मांगों का समर्थन करते हैं। -राकेश बैंस, प्रवक्ता, भाकियू चढ़ूनी गुट।